IPO के नुकसान, IPO ke nuksan in hindi, IPO ke nuksan kya hain, Disadvantage of IPO in hindi, आईपीओ निवेश के जोखिम, आईपीओ इन्वेस्टमेंट के क्या नुकसान हैं?
IPO यानी Initial Public Offering इन्वेस्टमेंट वह तरीका है जिसमें आप किसी कंपनी के शेयर में उस समय पैसा लगाते हैं जब वह पहली बार शेयर मार्केट में NSE या BSE पर लिस्ट होती है।
अगर आप एक निवेशक है या आपको निवेश के बारे में कुछ भी पता है, तो आपने आईपीओ के बारे में जरूर सुना होगा। IPO एक कंपनी का पब्लिक मार्केट में पहली बार शेयर इश्यू करने का प्रोसेस होता है। ये एक अच्छा तरीका है कंपनी के लिए फंड जुटाने का, लेकिन कुछ IPO के नुकसान भी होते हैं जिनके बारे में आपको पता होना चाहिए।
आईपीओ में निवेश करने से पहले निवेशकों को कंपनी की future growth, financials, और जोखिमों के बारे में अच्छी जानकारी होना बहुत जरूरी है। क्योंकि, ये एक High Risk और High Reward इन्वेस्टमेंट होता है इसीलिए इन्वेस्टर्स को IPO में पैसा invest करने से पहले अच्छी तरह से रिसर्च कर लेना चाहिए।
अगर निवेशक सही तरीके से रिसर्च नहीं करते हैं, तो उन्हें IPO में नुकसान होने के चांसेस बहुत ज्यादा है।
आज इस पोस्ट में हम आईपीओ के 10 नुकसान के बारे में बात करेंगे जो हर एक investor को पता होना चाहिए। अगर आप भी आईपीओ में इन्वेस्ट करते हैं या इन्वेस्ट करना चाहते हैं तो ये पोस्ट आपके लिए बहुत उपयोगी होगा, क्योंकि ये आपको IPO investment निर्णय को सही तरीके से प्लान करने में मदद करेगा। तो चलिये, शुरू करते हैं और जानते हैं आईपीओ के नुकसान के बारे में–
Contents
- 1 IPO के नुकसान (Disadvantages of IPO in Hindi)
- 1.1 1. IPO का नुकसान मार्केट कंडीशन पर निर्भर करता है
- 1.2 2. आईपीओ (IPO) से पहले फंडामेंटल एनालिसिस ना करने से नुकसान
- 1.3 3. आईपीओ इन्वेस्टमेंट में ब्रोकर फीस काफी ज्यादा होती है
- 1.4 4. IPO के शेयर की लिक्विडिटी कम होने से नुकसान
- 1.5 5. IPO निवेश में मार्केट वोलैटिलिटी का रिस्क और चैलेंज होता है
- 1.6 6. कंपनी के आईपीओ (IPO) में पैसा लगाने से पहले future risk देखना जरूरी है
- 1.7 7. IPO में अपनी रिस्क कैपेसिटी और फाइनेंशियल पोजिशन ना मापने से नुकसान
- 1.8 8. कंपनी के कंपटीशन और इंडस्ट्री ट्रेंड्स में बदलाव से नुकसान
- 1.9 9. IPO के मार्केट वैल्यू और आईपीओ प्राइस में अंतर हो सकता है
- 1.10 10. IPO इन्वेस्टमेंट से पहले फाइनेंसियल स्टेटमेंट ना पढ़ने की गलती करना
- 2 IPO के नुकसान – ‘निष्कर्ष’
IPO के नुकसान (Disadvantages of IPO in Hindi)
IPO के नुकसान हैं जैसे कि शेयरों की कीमत में उतार-चढ़ाव, अंडरपरफॉर्मेंस और बाजार के जोखिम। आईपीओ निवेशकों के निवेश की कोई गारंटी नहीं होती है क्योंकि छोटी अवधि के उतार-चढ़ाव का जोखिम होता है। IPO में निवेश करने से पहले निवेशकों को अच्छी रिसर्च करके निवेश के Risk और रिवार्ड्स का सही तरीके से पता होना जरूरी है।
नीचे हमने एक-एक करके IPO के क्या-क्या नुकसान हो सकते हैं, उन सभी के बारे में उदाहरण के साथ बताया है इसीलिए इस पोस्ट को अंत तक जरूर पढ़ना. IPO disadvantages का सबसे पहला पॉइंट है–
1. IPO का नुकसान मार्केट कंडीशन पर निर्भर करता है
IPO के नुकसान का सबसे पहला पॉइंट है कि आईपीओ में निवेश करने से पहले बाजार की स्थिति को ध्यान से देखना बहुत जरूरी है। ये बहुत ही महत्वपूर्ण पॉइंट है क्योंकि बाजार की स्थिति के ऊपर निर्भर करता है कि आईपीओ में निवेश करना उचित होगा या नहीं।
- मान लो कि आप एक बाइक खरीदना चाहते हैं, और आपके पास 50,000 रुपये है।
- अगर मार्केट में बाइक की डिमांड कम है और बाइक डीलर्स का इनवेंटरी में extra stock है, तो आपको बाइक कम price में मिल सकती है।
- लेकिन अगर मार्केट में बाइक की डिमांड हाई है और स्टॉक कम है, तो बाइक की price high हो सकती है और आपको कम ऑप्शन मिल सकते हैं।
इसी तरह आईपीओ में भी बाजार की स्थितियों का बहुत बड़ा रोल होता है। अगर मार्केट में ओवरऑल सेंटीमेंट नेगेटिव है और इनवेस्टर्स Risk aware है, तो IPO में invest करना रिस्की हो सकता है। लेकिन अगर बाजार की धारणा यानी market sentiment पॉजिटिव है और निवेशक जोखिम ले सकते हैं, तो आईपीओ में निवेश करना उचित है।
इसलिए, आईपीओ में निवेश करने से पहले बाजार की स्थिति को ध्यान से देखना बहुत जरूरी है। मतलब आपको मौजूदा बाजार के ट्रेंड और आर्थिक संकेतकों को ट्रैक करना चाहिए, ताकि आपको पता चले कि शेयर बाजार में क्या चल रहा है और उसी के अनुसार आप आईपीओ में निवेश करने या नहीं करने का फैसला कर सकें।
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2. आईपीओ (IPO) से पहले फंडामेंटल एनालिसिस ना करने से नुकसान
IPO का दूसरा नुकसान यह है कि आईपीओ में निवेश करने से पहले कंपनी का फंडामेंटल एनालिसिस ना करने से आपको काफी नुकसान भुगतना पड़ सकता है क्योंकि निवेशक को कंपनी के financials, बिजनेस मॉडल और जोखिमों के बारे में फंडामेंटल रिसर्च के दौरान ही पता चलता है।
अगर आपको यही पता नहीं होगा कि कंपनी फंडामेंटली कितनी मजबूत है तो आप को आईपीओ में loss होने के चांसेस बहुत ज्यादा बढ़ जाते हैं क्योंकि हो सकता है कि आप कमजोर फंडामेंटल वाली कंपनी में पैसा लगा दें।
उदाहरण के लिए–
- मान लीजिये कि आपने एक फार्मा कंपनी के आईपीओ में निवेश किया है और शेयर खरीदे हैं। आपको पता है कि कंपनी के पिछले fianacials, बिजनेस मॉडल और भविष्य के विकास की संभावनाएं अच्छे हैं,
- लेकिन आपको ये भी पता होना चाहिए कि कंपनी के जोखिम क्या हैं इसलिए कंपनी का फंडामेंटल एनालिसिस करना जरूरी है।
- फंडामेंटल एनालिसिस, कंपनी के आईपीओ के बारे में detailed जानकारी प्रदान करता है, जैसे कि कंपनी का बिजनेस मॉडल, वित्तीय विवरण, जोखिम, और भविष्य की विकास संभावनाएं।
इसलिए, आईपीओ में निवेश करने से पहले निवेशक को कंपनी के प्रॉस्पेक्टस को पढ़ना जरूरी है, ताकि निवेशक को कंपनी के बारे में अच्छी जानकारी हो और निवेशक अपने निवेश निर्णय को सही तरीके से प्लान कर सकें और IPO में नुकसान से बच सकें।
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3. आईपीओ इन्वेस्टमेंट में ब्रोकर फीस काफी ज्यादा होती है
आईपीओ (IPO) का तीसरा नुकसान यह है कि आईपीओ के प्रोसेस में इनवेस्टमेंट बैंक, ब्रोकर्स, और अंडरराइटर्स की फीस काफी ज्यादा होती है, जिसकी वजह से इन्वेस्टर के रिटर्न पर असर पड़ सकता है।
- उदाहरण के लिए– मान लो कि आपने एक टेक्नोलॉजी कंपनी के आईपीओ में निवेश किया है। उस कंपनी में आपको उसके बिजनेस मॉडल और फ्यूचर की ग्रोथ का अंदाजा है
- लेकिन आपको ये भी पता होना चाहिए कि आईपीओ के प्रोसेस में इनवेस्टमेंट बैंक, ब्रोकर्स, और अंडरराइटर्स की फीस काफी ज्यादा होती है।
- IPO प्रोसेस में इनवेस्टमेंट बैंक, ब्रोकर्स, और अंडरराइटर्स की फीस के के कारण इन्वेस्टर के रिटर्न पर असर पड़ सकता है।
- फीस के चार्ज के कारण, आईपीओ में निवेश करने से पहले इन्वेस्टर्स को ये पता होना चाहिए कि कितनी फीस लगेगी और इसका असर क्या होगा। अगर फीस ज्यादा है, तो निवेशक के रिटर्न पर असर पड़ सकता है।
इसलिए, आईपीओ में निवेश करने से पहले इन्वेस्टमेंट बैंक, ब्रोकर्स, और अंडरराइटर्स की फीस को भी मूल्यांकन करना जरूरी है। इसीलिए आपको इन सबकी फीस देखने के बाद ही अपने IPO इन्वेस्टमेंट को प्लान करना चाहिए, ताकि आपको फीस के कारण नुकसान से बचने का मौका हो।
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4. IPO के शेयर की लिक्विडिटी कम होने से नुकसान
अगला बड़ा IPO का नुकसान यह है कि आईपीओ के बाद शेयर्स की लिक्विडिटी कम हो जाती है, जिस वजह से शेयर्स को बेचना मुश्किल हो सकता है।
इसे एक सरल उदाहरण से समझते हैं–
- मान लो कि आपने एक रियल एस्टेट कंपनी के आईपीओ में पैसा invest किया है। तो आपको ऐसी कंपनी में निवेश करना चाहिए जिसकी लिक्विडिटी काफी अच्छी हो क्योंकि आईपीओ के बाद शेयरों की लिक्विडिटी कम होती है इसका मतलब है कि शेयर को बेचना मुश्किल हो सकता है।
आईपीओ के बाद, कंपनी के शेयर लिस्टेड होते हैं स्टॉक मार्केट पर, लेकिन शेयरों की डिमांड और सप्लाई के कारण शेयरों की लिक्विडिटी कम हो सकती है।
- अगर शेयर की डिमांड ज्यादा नहीं है और सप्लाई ज्यादा है, तो शेयर को बेचना मुश्किल हो सकता है।
- इसलिए, शेयर की लिक्विडिटी को भी मूल्यांकन करना जरूरी है, ताकि आपको पता चले कि शेयर को sell करने में आपको कितनी समस्या हो सकती है।
कहने का मतलब यह है कि आईपीओ में निवेश करने से पहले शेयर की लिक्विडिटी देखना बहुत जरूरी है। आपको शेयर्स की लिक्विडिटी के हिसाब से अपने इन्वेस्टमेंट्स को प्लान करना चाहिए, ताकि आपको शेयर्स को बेचने में नुकसान से बचने का चांस हो।
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5. IPO निवेश में मार्केट वोलैटिलिटी का रिस्क और चैलेंज होता है
IPO का पांचवा नुकसान है कि आईपीओ में निवेश करने से पहले मार्केट की वोलैटिलिटी और भविष्य में आने वाले चैलेंज या जोखिम के लिए तैयार होना चाहिए।
- मान लो कि आपने एक टेक्नोलॉजी कंपनी के आईपीओ में निवेश किया है तो आपको टेक्नोलॉजी सेक्टर में आने वाले चैलेंज के बारे में पता होना चाहिए।
- अगर आपने कंपनी के जोखिम और चुनौतियों को अनदेखा किया, तो आपको काफी नुकसान भुगतना पड़ सकता है।
- आपको IPO prospects को पढ़ना चाहिए जिसमें कंपनी के जोखिम और चुनौतियों का उल्लेख किया जाता है, जैसे कि विनियामक जोखिम, प्रतिस्पर्धी जोखिम, बाजार जोखिम आदि।
- आपको प्रॉस्पेक्टस को कंपनी के जोखिम और चुनौतियों का ध्यानपूर्वक अध्ययन करना चाहिए, ताकि आपको पता चले कि आपको क्या जोखिम फेस करना पड़ सकता है और आप अपने इन्वेस्टमेंट को उसी हिसाब से प्लान कर सकें।
इसीलिए आईपीओ में निवेश करने से पहले आईपीओ प्रॉस्पेक्टस को सावधानीपूर्वक पढ़ना बहुत जरूरी है क्योंकि अगर फ्यूचर में उस इंडस्ट्री में कोई डाउनफॉल होने वाला है तो उससे आप पहले ही सतर्क हो जाएं और बड़े नुकसान से बच सकें।
6. कंपनी के आईपीओ (IPO) में पैसा लगाने से पहले future risk देखना जरूरी है
अगला IPO का नुकसान है कि आईपीओ में पैसा लगाने से पहले कंपनी का फ्यूचर जिसका देखना बहुत जरूरी है। क्योंकि हो सकता है कि कंपनी का बिजनेस मॉडल भविष्य में काम ना करें या फिर मार्केट साइज फ्यूचर में छोटा हो सकता है जिससे कंपनी की ग्रोथ हम वहीं रुक सकती है पर इससे शेयरहोल्डर्स का पैसा भी grow होना बंद हो जाएगा।
उदाहरण– मान लो कि आपने एक फार्मा कंपनी के आईपीओ में निवेश किया है जो विदेशों में दवाइयां सप्लाई करती है। जब फ्यूचर में उस बीमारी का वायरस खत्म हो जाएगा तो अचानक से उस कंपनी की दवाइयों की डिमांड भी खत्म हो जाएगी।
ऐसे में अगर वह कंपनी सिर्फ एक ही प्रकार की दवाइयां पर अपना पूरा बिजनेस चलाती है तो उस कंपनी का पूरा बिजनेस भी खत्म हो सकता है।
इसीलिए आप जिस भी कंपनी का आईपीओ में इन्वेस्ट करें उसमें यह जरूर देखें कि कहीं उसका बिजनेस किसी एक चीज पर डिपेंड तो नहीं करता है जिसके खत्म होते ही कंपनी का बिजनेस भी खत्म हो सकता है और इससे इन्वेस्टर्स को भारी loss उठाना पड़ सकता है।
7. IPO में अपनी रिस्क कैपेसिटी और फाइनेंशियल पोजिशन ना मापने से नुकसान
अगला IPO का disadvantage यह है कि अगर आप आईपीओ में इन्वेस्टमेंट करने से पहले अपनी रिस्क लेने की क्षमता और फाइनेंशियल पोजिशन को अच्छे से नहीं नापते हैं तो आपको उस आईपीओ में नुकसान हो सकता है।
मान लीजिये– आपने एक रिटेल कंपनी के आईपीओ में निवेश करते हैं जिसका आईपीओ पूरी तरह फेल हो जाता है। अब प्रॉब्लम यह है कि आपने उस कंपनी में अपना पूरा जमा किया होगा पैसा इन्वेस्ट कर दिया था जिसकी वजह से अब आपकी पूरी आर्थिक स्थिति बिगड़ सकती है।
ऐसा सिर्फ इसलिए हुआ क्योंकि आपने आईपीओ में होने वाले नुकसान को अपनी फाइनेंसियल कंडीशन के अनुसार सही से measure नहीं किया। अगर आप इससे बचना चाहते हैं तो किसी भी आईपीओ में पैसा लगाने से पहले अपने दोस्त को कैपेसिटी को अच्छे से समझ ले।
8. कंपनी के कंपटीशन और इंडस्ट्री ट्रेंड्स में बदलाव से नुकसान
IPO का अगला drawback यह है कि कंपनी के प्रतिस्पर्धी और इंडस्ट्री ट्रेंड्स आपके इन्वेस्टमेंट को पूरी तरह से डुबा सकते हैं। मतलब आपने जिस कंपनी के आईटीओ में इन्वेस्ट किया है अगर उस पूरे सेक्टर में ही मंदी आ गई तो आपको भारी loss हो सकता है।
मार्केट में इसके कई उदाहरण मौजूद हैं जैसे आज के समय में पेट्रोल और डीजल की गाड़ियां काफी चल रही है लेकिन अगर भविष्य में यह सब इलेक्ट्रिक व्हीकल पर शिफ्ट हो जाएगी तो जो कंपनियां अपने बिजनेस को EV में शिफ्ट नहीं कर पाएंगे उन्हें loss फेस करना पड़ सकता है।
इसलिए किसी भी कंपनी के आईपीओ में इन्वेस्ट करते समय कुछ सेक्टर में होने वाली मार्केट के बदलाव पर नजर रखना चाहिए ताकि फ्यूचर में उससे होने वाले नुकसान से बचा जा सके।
9. IPO के मार्केट वैल्यू और आईपीओ प्राइस में अंतर हो सकता है
आईपीओ के मार्केट वैल्यू और आईपीओ प्राइस में अंतर होने के चांस होते हैं, इसलिए ज्यादा उम्मीद ना रखे। आईपीओ के मूल्य और बाजार मूल्य के अंतर को समझना बहुत ही महत्वपूर्ण है, क्योंकि ये आपके निवेश के रिटर्न पर असर डाल सकता है।
- उदाहरण के लिए– मान लो कि आप एक घर खरीदना चाहते हैं और हो सकता घर की वास्तविक मार्केट वैल्यू 50 लाख रुपये है।
- लेकिन अगर आपने घर को 60 लाख रुपये में खरीदा है, तो इससे भविष्य में आप के रिटर्न्स कम हो सकते हैं।
आईपीओ में भी ऐसा ही होता है। IPO के प्राइस को कंपनी के वैल्यूएशन के हिसाब से तय किया जाता है, लेकिन आईपीओ के बाद बाजार की स्थिति की वजह से से बाजार मूल्य अलग हो सकता है।
- अगर कंपनी का परफॉर्मेंस अच्छा रहा है और मार्केट में डिमांड है तो मार्केट वैल्यू आईपीओ प्राइस से ज्यादा हो सकता है।
- लेकिन अगर कंपनी के परफॉर्मेंस में कोई इश्यू आता है, या मार्केट सेंटीमेंट नेगेटिव होता है, तो मार्केट वैल्यू आईपीओ प्राइस से कम हो सकता है।
इसलिए, आईपीओ में निवेश करने से पहले ये समझना बहुत ही महत्वपूर्ण है कि आईपीओ की कीमत और मार्केट वैल्यू में अंतर होने के चांसेस बने रहते हैं इसीलिए आपको IPO से ज्यादा उम्मीद नहीं रखना चाहिए और अपने निवेश के लिए रियलिस्टिक रिटर्न की उम्मीद करनी चाहिए।
10. IPO इन्वेस्टमेंट से पहले फाइनेंसियल स्टेटमेंट ना पढ़ने की गलती करना
IPO का आखिरी नुकसान यह है कि अगर आप आईपीओ में निवेश करने से पहले कंपनी के वित्तीय विवरणों (financial statements) का अच्छे से विश्लेषण नहीं करते हैं तो आपको कंपनी की आर्थिक स्थिति के बारे में पता नहीं चलता है।
ये बहुत ही महत्वपूर्ण है, क्योंकि इससे आपको कंपनी की financial health और परफॉर्मेंस के बारे में पता चलता है।
- फाइनेंसियल स्टेटमेंट पढ़ने का मतलब है कि आपको उस कंपनी के प्रॉफिट एंड लॉस स्टेटमेंट, बैलेंस शीट, और कैश फ्लो स्टेटमेंट को ध्यान से पढ़ना चाहिए।
- क्योंकि इससे आपको पता चलेगा कि कंपनी का रेवेन्यू कहा से आता है, उसके खर्चे क्या हैं, और वो अपने शेयरहोल्डर्स को कितना डिविडेंड देते हैं।
- इसके अलावा, आपको कंपनी के डेट लेवल और कैश रिजर्व को भी चेक करना चाहिए, ताकि आपको पता चले कि वो फाइनेंशियली स्टेबल है या नहीं।
इसीलिए आईपीओ में निवेश करने से पहले आपको कंपनी के financial statements बहुत ही महत्वपूर्ण है, ताकि आप एक सूचित निर्णय ले सकें और अपने पैसे को सही जगह निवेश कर सकें।
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आईपीओ (IPO) में इन्वेस्टमेंट करने के क्या नुकसान है जैसे; मार्केट में उतार-चढ़ाव के कारण शेयर की वैल्यू कम हो जाना, नेगेटिव सेंटीमेंट की वजह से आईपीओ प्राइस पर गलत इंपैक्ट पडना, बियर मार्केट में आईपीओ का अच्छा परफॉर्म ना करना आदि IPO के कुछ नुकसान हैं।
IPO का सबसे बड़ा रस का है यह होता है कि उसमें पैसा इन्वेस्ट करने के बाद वह परफॉर्म करेगा या नहीं जो इस बात पर निर्भर करता है कि इन्वेस्टर्स कंपनी की मार्केट वैल्यू को IPO प्राइस से कमाते हैं या ज्यादा अगर मार्केट वैल्यू आईपीओ प्राइस कम नजर आती है तो आपको आईपीओ में नुकसान हो सकता है।
जी हां, अगर कंपनी का बिजनेस मजबूत है, फाइनेंसियल स्टेटमेंट जैसे बैलेंस शीट प्रॉफिट एंड लॉस स्टेटमेंट और कैश फ्लो स्टेटमेंट फ्यूचर के हिसाब से स्ट्रांग दिख रही है कंपनी के पास कंपटीशन एडवांटेज भी है तो ऐसी कंपनी के आईपीओ में पैसा लगाना बिल्कुल सुरक्षित है।
आईपीओ में निवेश करने के लिए न्यूनतम राशि अलग-अलग होता है और इसकी जानकारी प्रॉस्पेक्टस में दी जाती है। आम तौर पर, आईपीओ में निवेश करने के लिए न्यूनतम राशि 15,000 रुपये से शुरू हो सकती है।
आईपीओ में निवेश करने से पहले निवेशकों को किसी वित्तीय सलाहकार से बात करना फायदेमंद हो सकता है। वित्तीय सलाहकार आपको आईपीओ के जोखिम और रिटर्न्स के बारे में सही तरीके से बताएंगे और आपको निवेश योजना बनाने में मदद करेंगे।
हां, अगर आईपीओ में निवेश करने के बाद कंपनी के शेयरों की कीमत घट जाती है, तो निवेशकों को नुकसान हो सकता है। आईपीओ में निवेश करने से पहले निवेशकों को कंपनी की वित्तीय सेहत और भविष्य की संभावनाएं के बारे में अच्छी तरह से रिसर्च करना चाहिए, ताकि उन्हें निवेश के Risk और Reward के बारे में पता चल सके।
आईपीओ में निवेश करने के बाद शेयर्स को होल्ड करना लॉन्ग टर्म के लिए फायदेमंद हो सकता है। शेयर की कीमत में उतार-चढ़ाव होते रहते हैं, इसलिए निवेशकों को शॉर्ट-टर्म उतार-चढ़ाव के लिए तैयार रहना चाहिए और शेयरों को लॉन्ग-टर्म के लिए होल्ड करना चाहिए।
आईपीओ में निवेश करने से पहले निवेशकों को कंपनी के प्रॉस्पेक्टस, फाइनेंसियल numbers, कंपटीशन और मार्केट के ट्रेंड के बारे में अच्छी तरह से अध्ययन करना चाहिए। इसके साथ ही, निवेशकों को बाजार की स्थितियों को भी अच्छी तरह से समझना चाहिए। ऐसा करके इन्वेस्टर्स कंपनी की फाइनेंशियल हेल्थ और फ्यूचर प्रॉस्पेक्ट्स का अच्छी तरह से मूल्यांकन कर सकते हैं।
IPO के नुकसान – ‘निष्कर्ष’
आज के पोस्ट में हमने देखा कि IPO के नुकसान क्या-क्या होते हैं। इसके अलावा हमने यह भी जाना कि निवेश का कोई भी निर्णय लेने से पहले, निवेशकों को अच्छी तरह से रिसर्च करना चाहिए और उससे जुड़े Risk और आने वाले चैलेंज का मूल्यांकन करना चाहिए।
अंत में मैं बस आपसे इतना ही कहना चाहूंगा कि आपको किसी भी आईपीओ में इन्वेस्ट करने से पहले IPO के नुकसान को ध्यान में रखना चाहिए ताकि आप गलत आईपीओ में निवेश करने से बच सकें और अपने इन्वेस्टमेंट पर बेहतर रिटर्न प्राप्त कर सकें।
मैं आशा करता हूं इस आर्टिकल में दी गई जानकारी हर निवेशक के लिए उपयोगी साबित होगी। इस टॉपिक पर आपका क्या कहना है नीचे कमेंट करके जरूर बताइए
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और अगर आपका ‘Disadvantages of IPO in hindi‘ इस टॉपिक से संबंधित कोई सवाल है तो वह भी कमेंट बॉक्स में पूछ सकते हैं।