Call और Put ऑप्शन क्या हैं? कॉल और पुट ऑप्शन में क्या अंतर है?

ऑप्शन ट्रेडिंग में आपने कॉल और पुट के बारे में जरूर सुना होगा. शॉर्ट में इन्हें CE और PE कहते हैं. लेकिन आखिर कॉल और पुट ऑप्शन का मतलब क्या होता है, Call और Put काम कैसे करते हैं और इन्हें आसान तरीके से कैसे समझें? आज मैं आपको इनके बारे में detail में पूरी जानकारी देने वाला हूं।

इसके अलावा इस पोस्ट में आप यह भी जानेंगे कि–

  • कॉल और पुट में क्या अंतर है,
  • कॉल और पुट ऑप्शन कब खरीदना या बेचना चाहिए,
  • Call या put ऑप्शन कैसे चुनें,
  • ऑप्शन को ट्रेड करके पैसे कैसे कमाए जाते हैं,

अगर आप ऑप्शन्स क्या होते हैं इसके बारे में बिल्कुल आसान भाषा में सीखना चाहते हैं तो इस आर्टिकल को अंत तक जरूर पढ़ना. क्योंकि इस पोस्ट में मैंने जितना हो सके सिंपल भाषा में आपको एक-एक चीज समझाने की कोशिश की है ताकि अगर आप शेयर मार्केट में आए हैं तो भी आपके सारे कांसेप्ट बारीकी से क्लियर हो सके।

ऑप्शन क्या होते हैं (What is option in hindi)

Call and put option in Hindi
Call and put option in trading Hindi

ऑप्शन एक डेरिवेटिव कॉन्ट्रैक्ट होता है जो अंडरलाइंग एसेट की कीमत बढ़ने या घटने पर उससे पैसे कमाने का अधिकार देता है. शेयर मार्केट में ऑप्शन का प्रयोग ऑप्शन ट्रेडिंग में किया जाता है। इसमें ट्रेडर्स का मकसद कॉल और पुट दो प्रकार के ऑप्शन को ट्रेड करके पैसे कमाना होता है।

Option Meaning in Hindi: ऑप्शन को हिंदी में ‘विकल्प’ कहते हैं जिसका मतलब होता है चुनना.

Options का फायदा यह है कि अंडरलाइंग एसेट को खरीदने या बेचने के लिए आपको पूरा पैसा नहीं देना पड़ता, बल्कि एक छोटा सा प्रीमियम (small fees) देना होता है. फिर जब मार्केट में शेयर की कीमत आपके अनुमान के मुताबिक ऊपर या नीचे जाती है तो आपको प्रॉफिट होता है।

  • अंडरलाइंग एसेट कोई भी शेयर या इंडेक्स (निफ्टी या बैंकनिफ्टी) हो सकता है। हर एक ऑप्शन की expiry date होती है जो weekly या monthly होती है।
  • स्टॉक की एक्सपायरी डेट मंथली होती है जो महीने के अंतिम गुरुवार को होती है जबकि इंडेक्स की एक्सपायरी डेट हर गुरुवार को होती है।
  • मतलब एक बार कोई ऑप्शन खरीदने के बाद आपको उसे expiry यानी समाप्ति तिथि से पहले बेचना पड़ता है।
  • ऑप्शन उन लोगों के लिए पैसा कमाने का अच्छा तरीका है जो कम पैसों से रिटर्न कमाना चाहते हैं।

उदाहरण के लिए– मान लीजिए अगर किसी शेयर की कीमत 2000 रुपये है. और आपकी रिसर्च के मुताबिक उसका शेयर प्राइस कुछ समय बाद 2200 रुपये तक पहुंच सकता है।

आपके पास अभी केवल 10000 रुपये ही हैं जिससे आप केवल 5 शेयर ही खरीद पाएंगे. मतलब अगर शेयर प्राइस आफ के अनुमान के मुताबिक 2200 रुपये तक पहुंच भी जाता है तो भी आपको केवल 200×5 = 1000 रुपये का ही प्रॉफिट होगा.

लेकिन अगर आप इसी शेयर का कॉल ऑप्शन खरीदेंगे तो वह आपको 2000 रुपये की बजाए 200 रुपये या उससे कम कीमत पर मिल सकता है. मतलब आप अधिक क्वांटिटी खरीद पाएंगे और तो फिर भी आपको अधिक होगा.

इस प्रकार देखा जाए तो कॉल और पुट ऑप्शन उन लोगों के लिए काफी फायदेमंद है जिनके पास बहुत ज्यादा इन्वेस्टमेंट नहीं है और कम पैसे लगाकर अधिक प्रॉफिट कमाना चाहते हैं।

ऑप्शन कितने प्रकार के होते हैं (Type of options in hindi)

ऑप्शन दो प्रकार के होते हैं; 1. कॉल ऑप्शन और 2. पुट ऑप्शन. Call option को CE कहते हैं और Put option को PE कहते हैं. CE का पूरा नाम Call European और PE का पूरा नाम Put European है।

  • शेयर मार्केट में बुलिश होने पर कॉल ऑप्शन खरीदा जाता है और बियरिश होने पर पुट ऑप्शन खरीदा जाता है।
  • मतलब जब आपको लगता है कि बाजार ऊपर जाएगा तो Call ऑप्शन खरीदना चाहिए और जब आपको लगे कि बाजार नीचे जाएगा तो Put ऑप्शन खरीदना चाहिए।
  • इस प्रकार कॉल ऑप्शन खरीदने वाले को प्रॉफिट तब होता है जब मार्केट ऊपर जाता है और पुट ऑप्शन खरीदने वाले को प्रॉफिट तब होता है जब मार्केट नीचे जाता है।

जब आप ऑप्शन ट्रेडिंग करते हैं तो आपको अलग-अलग स्ट्राइक प्राइस के ऑप्शंस को ट्रेड करना पड़ता है जो कुछ इस प्रकार हैं–

  1. इन द मनी ऑप्शन (ITM)
  2. एट द मनी ऑप्शन (ATM)
  3. आउट द मनी ऑप्शन (OTM)

ITM, ATM और OTM के बारे में विस्तार से जानने के लिए यह पोस्ट पढ़ें–

जानिए– ITM, ATM और OTM ऑप्शंस क्या होते हैं?

कॉल ऑप्शन क्या है (What is call option in hindi)

कॉल ऑप्शन एक contract है जो option buyer को किसी specific time period के अंदर specific price पर underlying asset खरीदने का अधिकार देता है.

लेकिन यह option buyer के लिए obligation नहीं है मतलब यह जरूरी नहीं है कि उसे खरीदना ही पड़ेगा.

  • Underlying asset कुछ भी हो सकता है जैसे; स्टॉक, बॉण्ड, कमोडिटी आदि।
  • कॉल ऑप्शन खरीदने पर ऑप्शन बायर को प्रॉफिट तब होता है जब अंडरलाइंग एसेट का प्राइस बढ़ता है।
  • जिस specific price पर call option को खरीदा जाता है उसे strike price कहते हैं।
  • और जिस specific time period के दौरान वह ऑप्शन बेचा जाता है उसे उस option की expiry date कहते हैं।
  • शेयर के ऑप्शन की expiry date मंथली (हर महीने के अंतिम गुरुवार) को होती हैं जबकि इंडेक्स की एक्सपायरी डेट वीकल (हर हफ्ते गुरुवार) को होती है।
  • ऑप्शन को खरीदने के लिए आपको जो अमाउंट देना पड़ता है उसे प्रीमियम कहते हैं। ये वह अमाउंट होता है जितना आप प्रत्येक शेयर पर मैक्सिमम loss कर सकते हैं।
  • शेयर बाजार में अलग-अलग ऑप्शन ट्रेडिंग स्ट्रेटेजीस के द्वारा ऑप्शन्स को ट्रेड करके पैसा कमाया जाता है।

कॉल ऑप्शन का उदाहरण (Example of call option in hindi)

मान लीजिए आप TCS का शेयर प्राइस 3000 रुपये पर चल रहा है. और आपको लगता है कि कुछ समय बाद यह बढ़ने वाला है।

तो ऐसे में आप TCS का कॉल ऑप्शन खरीद सकते हैं।

अगर आपके अनुमान के मुताबिक एक्सपायरी डेट से पहले टीसीएस का शेयर प्राइस बढ़ता है तो आपके द्वारा खरीदे गए ऑप्शन के प्रीमियम की कीमत भी बढ़ जाएगी जिससे आपको प्रॉफिट होगा.

लेकिन अगर ऐसा नहीं हुआ मतलब TCS का शेयर प्राइस पढ़ने के बजाय घट गया तो ऐसे ना आपकी ऑप्शन के प्रीमियम की कीमत भी कम हो जाएगी जिससे आपको नुकसान होगा।

कॉल ऑप्शन कैसे काम करता है (How does call option work in hindi)

शेयर बाजार में कॉल ऑप्शन एक डेरिवेटिव कॉन्ट्रैक्ट के रूप में काम करता है। जब आप किसी शेयर का call option खरीदते हैं तो इसका मतलब है कि आप उस शेयर का प्राइस बढ़ने पर दांव लगा रहे हैं।

लोग शेयर खरीदने की बजाय उसका ऑप्शन इसीलिए खरीदते हैं क्योंकि इसकी कीमत शेयर की अपेक्षा बहुत कम होती है जिससे आपको कम निवेश में अधिक क्वांटिटी खरीदने का मौका मिलता है।

लेकिन ध्यान रखिए– अगर शेयर की कीमत आपके अनुमान के मुताबिक ऊपर नहीं गई तो कॉल ऑप्शन खरीदने पर आपको नुकसान भी हो सकता है।

इसीलिए ऑप्शंस में केवल तभी ट्रेडिंग करें जब आपको अच्छे से टेक्निकल एनालिसिस की जानकारी हो।

कॉल ऑप्शन कब खरीदना चाहिए (When to buy call option in hindi)

कॉल ऑप्शन उस समय खरीदना चाहिए जब शेयर मार्केट ऊपर जा रहा हो. अगर किसी दिन बाजार ऊपर जाता है तो आप निफ्टी या बैंकनिफ्टी का कॉल ऑप्शन खरीद कर लाभ कमा सकते हैं।

पुट ऑप्शन क्या है (What is put option in hindi)

पुट ऑप्शन, कॉल का बिल्कुल उल्टा है. यह भी एक फाइनेंसियल कॉन्ट्रैक्ट है। यह आपको एक विशेष समय अवधि के दौरान, एक निश्चित प्राइस पर किसी अंडरलाइंग एसेट को बेचने की अनुमति देता है।

जब आप पुट ऑप्शन खरीदते हैं तो इसका मतलब है कि आप उसे एसेट के गिरने पर दाव लगा रहे हैं।

पुट ऑप्शन का उदाहरण (Example of put option in hindi)

मान लो आपको लगता है कि आज बैंकिंग सेक्टर में गिरावट होने वाली है तो ऐसे में बैंकनिफ्टी का put option खरीद सकते हैं।

पुट खरीदने के बाद अगर बैंकनिफ्टी नीचे जाएगा यानी उसमें गिरावट होगी तो आपको प्रॉफिट होगा।

लेकिन अगर आपका अनुमान गलत हो गया और बैंकनिफ्टी ऊपर चला गया तो आपको नुकसान हो सकता है।

अगर आपको लगता है कि banknifty बहुत सारे पॉइंट ऊपर जाएगा तो आप OTM ऑप्शन ले सकते हैं क्योंकि यह बहुत ही सस्ते होते हैं।

लेकिन अगर आप ज्यादा रिस्क नहीं लेना चाहते तो आपको ITM या ATM पर ही पुट ऑप्शन खरीदना चाहिए।

  • कैसे पता करें निफ्टी ऊपर जाएगा या नीचे?
  • कैसे पता करें बैंकनिफ्टी ऊपर जाएगा या नीचे?

पुट ऑप्शन कैसे काम करता है (How does put option work in hindi)

शेयर बाजार में पुट ऑप्शन भी एक डेरिवेटिव कॉन्ट्रैक्ट की तरह काम करता है। यह आपको किसी शेयर की कीमत गिरने पर उससे प्रॉफिट कमाने का मौका देता है। शेयर ही नहीं बल्कि निफ्टी और बैंकनिफ्टी का भी put खरीद कर आप अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं।

जब किसी शेयर की कीमत गिरती है तो उसके फोटो ऑप्शन के प्रीमियम की कीमत बड़े नहीं रखती है जिससे जिन लोगों ने उस शेयर का पुट ऑप्शन खरीदा था उन्हें प्रॉफिट होता है।

पुट ऑप्शन कब खरीदना चाहिए (When to buy put option in hindi)

पुट ऑप्शन तब खरीदना चाहिए जब मार्केट में गिरावट हो रही हो. मतलब जब शेयर बाजार गिरता है तो option buyer पुट ऑप्शन खरीदना चाहिए। अगर किसी दिन मार्केट में पैनिक सेलिंग होती है तो उस दिन आप पुट ऑप्शन को ट्रेड करके अच्छा प्रॉफिट कमा सकते हैं।

कॉल और पुट ऑप्शन कैसे समझें?

कॉल और पुट ऑप्शन को आप कुछ इस प्रकार समझ सकते हैं कि इनकी खुद की कोई वैल्यू नहीं होती है बल्कि यह अपनी वैल्यू किसी अन्य इंस्ट्रूमेंट से derive करते हैं, और इसीलिए इनको डेरिवेटिव बोला जाता है।

अगर आप डेरिवेटिव मार्केट यानी फ्यूचर एंड ऑप्शन को समझते हैं तो आपके लिए कॉल और पुट ऑप्शन को समझना बहुत आसान होगा।

आईए इसे एक बहुत सिंपल उदाहरण के द्वारा समझते हैं–

जो रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया नोट जारी करती है उनके कागज की कोई वैल्यू नहीं होती है लेकिन जब RBI के दबाना उस कागज पर हस्ताक्षर कर देते हैं तो वह नोट यानी करेंसी के रूप में आप यूज कर सकते हैं।

कहने का मतलब है कि जिस तरह एक 10 Rs, 50 Rs, 500 Ra या 2000 Rs के नोट की वैल्यू केवल तभी है जब उस पर रिजर्व बैंक के गवर्नर के हस्ताक्षर हों वरना उसे नकली माना जाएगा.

मतलब वह नोट अपनी वैल्यू गवर्नर के हस्ताक्षर के द्वारा ड्राइव कर रहा है। इस सिचुएशन में जो ‘गवर्नर के हस्ताक्षर’ हैं वह underlying asset हैं और जो नोट है उसे हम डेरिवेटिव कांट्रैक्ट कह सकते हैं।

इसी प्रकार शेयर मार्केट में किसी कॉल या पुट ऑप्शन की अपनी कोई वैल्यू नहीं है बल्कि इनकी वैल्यू कितनी ऊपर या नीचे जाएगी, यह उसके underlying asset के ऊपर निर्भर करता है।

उम्मीद करता हूं अब आप समझ गए होंगे कि कॉल और पुट ऑप्शन क्या होते हैं। चलिए अब जानते हैं कि–

कॉल और पुट में क्या अंतर है?

कॉल और पुट ऑप्शन में अंतर (Difference between call and put options in Hindi)

  1. दोनों में सबसे बड़ा अंतर है कि कॉल ऑप्शन को शेयर मार्केट बढ़ने पर खरीदना चाहिए जबकि पुट ऑप्शन को मार्केट गिरने पर खरीदना चाहिए।
  2. कॉल ऑप्शन खरीदने पर तब प्रॉफिट होता है जब शेयर की कीमत बढ़ती है जबकि पुट ऑप्शन खरीदने पर प्रॉफिट तब होता है जब शेयर की कीमत गिरती है।
  3. कॉल ऑप्शन किसी शेयर की कीमत बढ़ने पर दांव लगाने का कॉन्ट्रैक्ट है जबकि पुट ऑप्शन किसी शेयर की कीमत गिरने पर दाव लगाने का ऑप्शन है।
  4. ऑप्शन विक्रेता को मार्केट ऊपर जाने पर पुट ऑप्शन बेचना चाहिए और मार्केट नीचे जाने पर कॉल ऑप्शन बेचना चाहिए।
  5. ऑप्शन खरीददार को बाजार में बुल रन के दौरान call option खरीदना लाभदायक होता है और बाजार में बियर रन के दौरान put ऑप्शन खरीदना लाभदायक होता है।
  6. कॉल और पुट दोनों को एक साथ भी खरीदा जा सकता है Spread स्ट्रेटजी बनाकर जिसमें आपके जोखिम के चांस बहुत कम हो जाते हैं।
  7. मार्केट में तेजी की अपेक्षा मंदी में लोग बहुत तेजी से पैनिक सेलिंग करते हैं उस समय call की बजाए put अच्छा खासा प्रॉफिट कमा कर देते हैं।

FAQ’s About Call and Put Option in Hindi

शेयर मार्केट में कॉल पुट क्या होता है?

शेयर मार्केट में कॉल और पुट डेरिवेटिव कॉन्ट्रैक्ट होते हैं जिनको ऑप्शन बोला जाता है। यह एक निश्चित प्रीमियम फीस के बारे में किसी अंडरलाइंग एसेट को खरीदने का अधिकार देते हैं लेकिन यह आपकी जिम्मेदारी नहीं है।

मैं कॉल या पुट ऑप्शन कैसे चुनूं?

कॉल या पुट ऑप्शन चढ़ने के लिए आपको मार्केट रिसर्च करना होगा. अगर बाजार अपने सपोर्ट लेवल पर है और अब बढ़ने वाला है तो आपको कॉल ऑप्शन खरीदना चाहिए लेकिन अगर बाजार अपने रेजिस्टेंस लेवल को टच करके नीचे आ रहा है तो पुट ऑप्शन खरीदना बेहतर होगा.

पुट और कॉल ऑप्शन की समाप्ति के बाद क्या होता है?

कॉल और पुट ऑप्शन की एक्सपायरी डेट यानि समाप्ति तिथि के बाद आपने जो ऑप्शन खरीदा था उसकी वैल्यू जीरो हो जाती है। इसीलिए समाप्ति तिथि से पहले आपको अपने खरीदे गए सभी ऑप्शन कॉन्ट्रैक्ट को बेच देना चाहिए।

अगर ऑप्शन के लिए कोई खरीदार नहीं है तो क्या होगा?

अगर आपके द्वारा बेचे गए कॉल या पुट ऑप्शन के लिए कोई खरीदार नहीं है तो आपको नुकसान हो सकता है। लेकिन अक्सर ऐसा नहीं होता है क्योंकि शेयर बाजार में खरीदार और विक्रेता की संख्या बहुत ज्यादा है जो निरंतर आपस buying में selling करते रहते हैं। अगर खरीदार कम है तो आपको फर्क सिर्फ इतना पड़ेगा कि आपके द्वारा बेचे गए ऑप्शंस से आपको उतना प्रॉफिट नहीं मिलेगा जितना आपने उम्मीद की थी।

अगर ऑप्शन प्राइस जीरो हो जाए तो क्या होगा?

अगर ऑप्शन प्राइस शून्य हो जाए तो आपके द्वारा कॉल या पुट ऑप्शन में लगाया गया पूरा पैसा डूब सकता है। ऐसा अक्सर एक्सपायरी डेट से पहले बहुत ही कम या ना के बराबर होता है इसलिए आपको चिंता करने की जरूरत नहीं है। क्योंकि अगर ऑप्शन की कीमत लगातार नीचे जा रहे हैं तो आप उसे बेचकर पहले ही बाहर निकल सकते हैं।

क्या ऑप्शन खरीदना लाभदायक है?

ऑप्शन खरीदना तब लाभदायक है जब आपके द्वारा खरीदे गए ऑप्शन के प्रीमियम की वैल्यू बढ़ती है। मतलब अगर आपने निफ्टी का कॉल ऑप्शन खरीदा है और बाजार में निफ्टी कुछ पॉइंट ऊपर चला जाता है तो आपको मुनाफा होगा।

कॉल या पुट ऑप्शन में से क्या बेहतर है?

दोनों अपने-अपने नजरिए से बेहतर हैं। जब बाजार ऊपर जा रहा होता है तब कॉल ऑप्शन खरीदना बेहतर है और जब बाजार नीचे जा रहा होता है तो पुट ऑप्शन खरीदना बेहतर है।

ऑप्शन कितने समय तक चलते हैं?

शेयर ऑप्शन मंथली चलते रहते हैं जबकि इंडेक्स यानी निफ्टी और बैंकनिफ्टी के ऑप्शन वीकली चलते हैं।

कॉल और पुट ऑप्शन से पैसे कैसे कमाते हैं?

कॉल और पुट ऑप्शन से पैसा कमाने के लिए आपको मार्केट का प्रेडिक्शन करना आना चाहिए। इसके अलावा आपको ऑप्शन ट्रेडिंग के बेसिक कॉन्सेप्ट भी पता होना चाहिए केवल तभी आप कॉल और पुट ऑप्शन को ट्रेड करके पैसे कमा सकते हैं।

Call and put option kya hai in hindi – ‘Conclusion’

इस लेख में आपने उदाहरण सहित जाना की कि कॉल और पुट ऑप्शन क्या होते हैं और कॉल और पुट में क्या अंतर है. उम्मीद करता हूं आपको Call and option के बारे में यह विशेष जानकारी उपयोगी लगी होगी।

अगर आप ऑप्शन ट्रेडिंग में beginner हैं तो मुझे पूरा विश्वास है कि ‘Call and put option in hindi‘ का यह लिखा आपके लिए जरूर उपयोगी साबित होगा।

ये भी पढ़ें,

  • ऑप्शन ट्रेडिंग कैसे करते हैं?
  • ऑप्शन ट्रेडिंग कैसे सीखें?
  • Option buying vs option selling in hindi
  • ऑप्शन सेलिंग की पूरी जानकारी
  • ऑप्शन चेन क्या होती है उदाहरण सहित जानिए

अगर आपको इस पोस्ट से रिलेटेड कोई डाउट है या कुछ चीजें समझ में नहीं आई हो तो नीचे कमेंट करके जरूर पूछिए. मैं तुरंत आपका जवाब देने की कोशिश करूंगा।

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